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Mukesh Chand

Abstract

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Mukesh Chand

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वक्त का सितम

वक्त का सितम

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वक्त का सितम कुछ इस कदर है

ना जाने वो किधर हम किधर हैं

हर लम्हा दृढ़ता इधर है

पर मुझको जोड़ता इधर है।

कितनी भी दूर हो मगर मुझे जोड़ता इधर है

उसके होने से ही जिंदगी मेरे साथ है

जिंदगी में बिताया हर पल उतना ही खास है

उतना उस लम्हे का मुझे अहसाह है।

आंखों से ओझल है मगर दिल के पास है

दिल से जुड़ा हर एक एहसास है।

एहसास होने से ही तो कुछ तो बात है

बातो से ही तो यादो की बरसात है।

वक्त का सितम कुछ इस कदर है

ना जाने वो किधर हम किधर है।


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