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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Action Others

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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

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लंका

लंका

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जब शासन नाकारा हो जाता है 

अपनी नाकामी छुपाने को 

जनता का खून बेचकर 

देश चलाता है ।


जनता करे न कोई सवाल 

इसीलिए धर्म का शरबत खूब पिलाया जाता है 

मीडिया के द्वारा जनता को आपस में लड़ाया जाता है 

संसद में होती है कानाफूसी 

नेताओं के महफूज आशियानों में जाम से जाम टकराया जाता है 

कुछ इस तरह देश को श्रीलंका बनाया जाता है ।


फिर एक दिन -

तन का कपड़ा, पेट की रोटी जनता से करती है सवाल 

तब धर्म को खूंटी पर सुखाया जाता है 

जनता ले लेती है कानून हाथ में,

सड़कों पर होता है तांडव 

नेताजी को इंद्रासन से बाल पकड़ खींच लिया जाता है 

पुलिस- फौज खड़ी तमाशा देखती रहती है... 

गली-गली में रावण की अर्थी जलती है ।

जनता का टूटा संयम परिणाम भयंकर लाता है 

हे ! भारत के इन्द्रदेव भोग-विलास से बाहर निकलो 

लंका जली, जलेगी और जलने वाली है ।



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