अजनबी है हम तेरे शहर में।
अजनबी है हम तेरे शहर में।
अजनबी है हम तेरे शहर में।
दूर ना होती हमसे तन्हाई तन्हा रहने में।।1।।
उस परिंदे में परवाज़ कैसी।
जो कैद में रहा हो हमेशा ही पिंजड़े में।।2।।
अपना ही दिल रकीब बना।
हमने जिंदगी बिता दी खुद से लड़ने में।।3।।
टूटा दिल लेकर जाए कहां।
हर शाम गुजरती है अब तो मयकदे में।।4।।
सदा बात से मुकर जाते हो।
फायदा क्या कोई झूठा वादा करने में।।5।।
गर तू मांगें हमसे हमारी मौत।
हम उफ ना करेंगे अपनी जान देने में।।6।।