शक्ति है तू
शक्ति है तू
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शक्ति है तू , पहचान खुद को
खुद ही निर्बल न मान खुद को
इन रूढ़िवादी जंजीरों को
तोड़ दे, कर तू कैद से स्वत्रंत खुद को ।
कर बुलंद आवाज अपनी, मौन
सिसकियाँ भरना छोड़ दे अधर्म
शोषण अन्याय आज बंधन तोड़ दे ।
कर सम्मान तू खुद का अपने
अधिकार जान ले अबला नहीं
सबला है तू यह सत्य पहचान ले ।
बस अब बहुत हुआ खुद ही अपमानित
न कर खुद को , शक्ति है तू पहचान खुद
को खुद ही निर्बल न मान खुद को ।
तू नहीं किसी से कम है, तेरी भुजाओं
में भी अत्यंत बल है ,तू हो शिक्षित निडर
हो सिर्फ अपने परिवार का नहीं हर
बेसहारा शोषित का सहारा हो ।
तू कर सकती है ऐसा है पूर्ण विश्वास
मुझको शक्ति है तू पहचान खुद को
खुद ही निर्बल न मान खुद को ।।