वफा की निशानी
वफा की निशानी
चाहत कहां कभी पुरानी,
होती है,
ये बस वफा की निशानी,
होती है।
मुहब्बत में आंखे ही बातें,
करती है।
दीवानगी खामोश जुबानी,
होती है।
तुम पूंछते हो मुहब्बत की,
पहचान।
ये दर्द ओ गम की कहानी,
होती है।
जाकर पूंछ लो किसी से,
जहां में।
इश्क में हर एक जवानी,
रोती है।
मिले ना तन्हाई तो इश्क,
कैसा।
प्यार में दूरियां दरम्यानी,
होती है।
कहते है सभी अदीब ओ,
आलिम।
ये आशिकी एक नादानी,
होती है।
इश्क में बिछड़ना दस्तूर,
होता है।
मुकम्मल कहां ये कहानी,
होती है।
आलिमों को भी समझ,
ना आए।
दीवानों की बातें दीवानी,
होती है।
कैद कैसे करोगे चाहत,
दिल की !
कुछ मुहब्बतें ना इंसानी,
होती है !