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Phool Singh

Action Classics Inspirational

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Phool Singh

Action Classics Inspirational

ईश्वर प्रतिज्ञा

ईश्वर प्रतिज्ञा

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ईश्वर की महिमा क्या कहूँ 

चाहे सब शब्दों को लूँ मैं घोल 

कर न सकता उसका, जिसके आंचल में रहा मैं डोल।।


सीधे-सरल से वचन है जिनके  

मार्ग नहीं कोई गोल

जीवनपथ को सरल है करते, जब नाम लेता है बोल।।


कुबेर के भंडार वो सब खोलते

कुछ लगा तो मोल

कड़वें वचन भी सुनने पड़ेंगे, जो अंतर्मन के पट खोल।।


छांव में रहेगा उनकी हर पल

जो ध्यान-चित्त में डोल

भाव से वो प्रसन्न होते, देते मूल्यवान रास्ते खोल।। 


हर गुलामी से तुझे छुड़ाते  

जिसमें ध्यान-कर्म-योग निभाते रोल

बहुमूल्य वो तुम्हें बनाते, कुछ सुन उनकी कथा के बोल।।


आँसू बहा कुछ उनकी ख़ातिर 

देते खुशी के सागर खोल 

दु:ख-दर्द तेरे मिट जायेंगे, थोड़ा सेवा-समर्पण सोच।। 


मददगार बन थोड़ा सहायक बन जा 

जीवन बड़ा अनमोल 

किए कर्म ही लौटकर आते, मुँह वक़्त से कभी न मोड़।।


ढूँढ ही लेता किया कर्म तुम्हारा  

सब मोह-भ्रमजाल को छोड़ 

माया-छाया चल नहीं सकती, वक़्त का निर्णय बड़ा कठोर।।  


सदुपयोग करें जो वक़्त का बंधु 

बात सज्जनता की सोच 

कीर्तिमान बना दूँ क्षण में तुझको, मेरी बात मान के देख।।


विस्मरण करा दूँ जग का सारे 

मेरा कीर्तन करके देख

जगत की बेड़ियाँ तोड़ के सारी, शांतिदूत न बना दूँ तो बोल।।


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