लम्हों की सदा
लम्हों की सदा
एकाकीपन में बीती रात देखिए
टूटते हुए लम्हों की सदा देखिए
ज़िंदगी ने न छोड़ा साथ अब तक
उम्र भर की ये बला देखिए
सुने प्यार के फसाने बहुत से
दिल पे बरसी ये घटा देखिए
हसरत थी तुम्हे रोकने की बहुत
बिछड़े थे तो होंटो पे दुआ देखिए
शीशा ए गम बिखरा तो मालूम हुआ
जिस पे लिपटा था वो दीवार देखिए
डूबते वक्त भँवर पूछ रहा है साहिल से
जब किनारे से चले तो अंदाज देखिए।
