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Manoj Murmu

Abstract Romance Others

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Manoj Murmu

Abstract Romance Others

लम्हें जिंदगी के!

लम्हें जिंदगी के!

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कितनी खूबसूरत और हसीन जिंदगी का सफर था,

चारों तरफ खुशियां ही खुशियां बिखरी पड़ी थी।

न जाने कौन राह से आई प्रेम की प्रस्ताव ले के,

उस वक़्त कितनी खुशनुमा थी लम्हें जिंदगी के।


दिन बीतते गए दिन से महीना बीतते चले गए,

प्रेम के रिश्ते में अब मिठास कम होती चली गयी।

साल बदलते चले गए बढ़ती गयी दूरियां प्रेम के,

अजीब अजीब तरह से सताने लगे लम्हें जिंदगी के।


हर बार अगर चेहरा बदल कर न आया होता,

धोखा मैंने उस शख्स से यूँ न खाया होता।

तीतर बितर कर गए जो सपने आंखों के,

क्या बताऊँ सच्चाई अब लम्हें जिंदगी के।


ऐ इतने भी दर्द न दे कि मैं बिखर जाऊं,

ऐ इतने भी ग़म न दे कि मैं ख़ुशियां भूल जाऊं।

क्यों तहस-नहस करने लगे हो अरमान दिल के,

क्या बताऊँ दर्द-ए-हकीकत अब लम्हें जिंदगी के।


बेवफ़ा को तो न ही प्यार निभाना आया,

सिर्फ उसे दिल की दौलत को यूं लुटना आया।

जिंदगी तबाह कर गयी हमें यूं बर्बाद करके,

क्या बताऊँ अब बोलो ये लम्हें जिंदगी के।



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