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Lokanath Rath

Romance Tragedy Classics

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Lokanath Rath

Romance Tragedy Classics

लम्हे

लम्हे

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ये चाँद को देखो, आसमान से

रात को कितनी हसीन बना देता,

और तुम तो यहीँ कहीं हों

न मिलना तो सिर्फ बहाना होता।


न ऐ चाँद, न ऐ आसमान

वो लम्हे को कभी खोना चाहाते,

और तुम हों की फुरसत मे

कोई लम्हे को याद नहीं करते।


जब आसमान मे चाँद नहीं दीखता

रात,यकीन के साथ इन्तेजार करता,

और तुम यकीन को तोड़ देते

वो लम्हे भी बड़ा यादगार होता।


चाँद तो आसमान मे रहेता है

रात भी दिन ढलने से आता,

तुम तो मेरे यादों मे हों

हर लम्हे मेरे ऐसे बीत जाता।


चाँद तो आसमान से कोशिस करता

रात की हर लम्हे खूबसूरत हों,

और तुम कोशिश करना तो छोड़ो

हर लम्हे को भूल जाते हों।


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