लक्ष्य
लक्ष्य
लक्ष्य हो जो भी तेरा, हर हाल में पाना है तुझे
बेसुरे हर गीत को, सुर ताल में गाना है तुझे
मुश्किलों से ना घबरा, सौ बार इनसे टकरा
औरों से नहीं यहां पर, है तुझे खुद से ख़तरा
नज़र हो तेरी मंज़िल पर, अपने बादशाह दिल पर
परवर दिगार के प्यारे बंदे, खुद को तू काबिल कर
उठकर अलसुबह तू मुस्कुरा, ज़िंदगी की तरह खिलखिला
जी उठे रोम रोम तेरा, कुछ इस तरह तू लहलहा
मन के भीतर आग है, आशाओं का अनंत पराग है
हर घड़ी जलता तुझ में, माँ की दुआओं का चराग है
एक बार और कोशिश, हर मर्ज़ की यही दवा है
निकल चल तू अकेला, राहें तेरी खुद हमनवा है
बंदिश ना कोई रोक सके, रंज़िश ना कोई टोक सके
अग्निपथ पर ऐसे चल, के साज़िश ना कोई रोक सके
लक्ष्य हो जो भी तेरा, हर हाल में पाना है तुझे
बेसुरे हर गीत को, लय ताल में गाना है तुझे।