लक्ष
लक्ष
चाँद ने सिखाया हर हाल मे ठहराव से जीना
जिदंगी को शांती से हर पल मोड देना
चोट लगती है तो थोडा ठहर जाना
कुछ सुकुन के पल अपनो को भी देना
लक्ष्य कभी भी तुम्हारा भूल जाना नही
सपना कभी भी तुम्हारा हलके मे लेना नही
भागना उसके पीछे उम्मीद तुम्हारी कम नही
मंजिल शायद दुर हो नामुनकिन कुछ नही
इरादो पर अपने डटे रहना तूम सीखो
सपनो को अपने बारबार तूम लिखो
लक्ष को रात दिन गिद्ध की तरह देखो
अपने आप को तूम कभी ना रोको।