लिखूं तोह क्या लिखूं
लिखूं तोह क्या लिखूं
लिखूं तो क्या लिखूं
सब कुछ तो तुम जानते हो
ज़िन्दगी के इस छोर में
सब बेगाने कभी अपने ही तो थे।
चोट परायों ने नहीं
अपनो ने दी
अब और क्या लिखूं मैं
सब कुछ तोह तुम जानते हो।
लिखूं तो क्या लिखूं
सब कुछ तो तुम जानते हो
ज़िन्दगी के इस छोर में
सब बेगाने कभी अपने ही तो थे।
चोट परायों ने नहीं
अपनो ने दी
अब और क्या लिखूं मैं
सब कुछ तोह तुम जानते हो।