लिखता हूँ उसको
लिखता हूँ उसको
लिखता हूँ उसको, उसको ही गाता हूँ
अपनी प्रेम कहानी का किस्सा सुनाता हूँ
जब हम मिले थे, दोनों ही नये थे
वो हमसे बेखबर थी, हम उससे बेखबर थे
उस पहले प्रेम-कदम का किस्सा सुनाता हूँ
अपनी प्रेम...
वो हमसे मिलेंगे, हम उनसे मिले थे
बातें नज़रों से हुईं थी, पर होंठ सिले थे
उस चुप सा हो के मिलने का किस्सा सुनाता हूँ
अपनी प्रेम...
एक कदम वो बढ़े थे, तो एक कदम हम बढ़े थे
वो करीब मेरे आये, तो उनके करीब हम गये थे
आगोश में उनके आने का किस्सा सुनाता हूँ
अपनी प्रेम...
होंठ उनके गीले हुए थे, होंठ मेरे गीले हुये थे
वो मुझ में समाये थे, हम उनमें समाये थे
उस चुम्बन भरी रात का किस्सा सुनाता हूँ
अपनी प्रेम...
वो मेरे एहसास थे, मैं उनका एहसास था
वो मेरे प्यार थे, मैं उनका प्यार था
उस प्रेम-सफर का किस्सा सुनाता हूँ
अपनी प्रेम...