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Kusum Lakhera

Inspirational Others

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Kusum Lakhera

Inspirational Others

लिखना चाहती हूँ

लिखना चाहती हूँ

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लिखना चाहती हूँ प्रेम की बौछार !

पर चलने लगती है वैमनस्य की बयार !!

लिखना चाहती हूँ असीम आकाश सा प्यार !

पर बहने  लगती है नफरत बेशुमार !!


लिखना चाहती हूँ खुशियों के इंद्रधनुषी रंग 

पर उदासी की स्याही से 

दुनिया होने लगती है बेरंग ...

लिखना चाहती हूँ मन की उमंग ...

पर निराशा के भावों से होती हूँ तंग !!


लिखना चाहती हूँ उम्मीद की चमकती किरन 

और आशा का खिलखिलाता प्रकाश ...

पर टूटने लगते है दुखों के पहाड़ ..

सुख समृद्धि से परिपूर्ण संतोष लिखना चाहती हूँ 

पर लिख नहीं पाती हूँ ......

अशांति का होने लगता प्रलाप ...


विधि द्वारा रचित इस सृष्टि को सौंदर्य से पूर्ण 

लिखना चाहती हूँ ....

पर डर और अविश्वास करते संवाद ..

इसलिए ....

लिखना चाहती हूँ कल्पना लोक ...

कि जहाँ न छाए कोई शोक ..…

न कभी ग़म के बादलों की हो बरसात !

खुशियों की हमेशा मिलती रहे सौगात !!



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