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Sukant Suman

Classics Inspirational Children

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Sukant Suman

Classics Inspirational Children

ली थी जब साँस पहली

ली थी जब साँस पहली

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ली थी जब साँस पहली 

मिला था जिससे अस्तित्व पहला।

वो माँ ही तो है।


जिसने न जाने 

कितने रतजगे किये 

इक अपने लाल को 

सुलाने के वास्ते।


हो चाहे कितनी भी

संकट पर माँ हमेशा 

देती है बच्चे को ढाढ़स।


होती है यह धरती पर

तुल्य देवताओं के।

हम कितने भी बड़े

क्यूँ न हो जाए।


पर माँ के चरण समान

कोई दूजा जगह नहीं इस जगत् में।


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