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Aaradhana Agarwal

Inspirational

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Aaradhana Agarwal

Inspirational

लेते हैं यह प्रण

लेते हैं यह प्रण

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आजाद हुआ था देश हमारा गुलामी की जंजीरों से,

पर नहीं है स्वतंत्र आज तक नफरत भरी सोच से।

एक अफवाह काफी है, शहर पूरा जल उठता है,

एक झूठे अहं के कारण इंसाफ इंतजार करता है।

बीमारी से लड़ जाए हम, दुश्मन का भी खौफ नहीं,

पर रक्षक को भक्षक देख, कैसे मनाए हम आज़ादी?

तिरंगा फहराने का कोई औचित्य नहीं, डर है गर अभी भी सीने में,

बेगाने नहीं सब अपने हैं, फिर क्यों हिंसा और साजिशें हैं?

स्याही नहीं लहू से लिखी है किताब आज़ादी के अफसानों वाली,

हमने भी तो रो - रो कर पढ़ी और जानी दास्ताँ भारत के गुलामी की।

नहीं मंजूर हमें अब और कोई बेबसी, ना जकड़ो भ्रम की जंजीरों से,

हम नए भारत के सिपाही चुस्त और तंदुरुस्त हैं दिलों- दिमाग से।

ताकत रखते हैं देश संभालने और प्रगति की राह ले जाने की,

कोई भी समस्या हो, ढूंढते हैं समाधान मिल बैठ कर सुलझाने की।

आर्थिक मजबूती, सीमा की सुरक्षा, आंतरिक शांति का ले हम व्रत,

देश हमारा खुशहाल बने, फले फूले, रहे आबाद युगों युगों तक। 


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