मेरे किरदार
मेरे किरदार
मैं कहानियाँ लिखती हूँ, किरदार गढ़ती हूँ।
मेरे किरदार न सुबह की धूप से उजले हैं,
ना ही अमावस की रात से काले, डरावने,
वो तो संध्या की भांति दोनों की प्रवृत्ति लिए हैं।
मेरे किरदार शतरंज की बिसात पर बिछे मोहरे नहीं,
उन्हें किसी और के दिमाग से चलना नामंजूर है,
वो अपनी जंग खुद की काबलियत से लड़ते हैं,
हर दांव को समझ कर खेलने वाले खिलाड़ी हैं।
किसी को धक्के देकर, गिरा कर आगे नहीं बढ़ते,
मेरे किरदार चुनौतियाँ स्वीकार करते हैं, जीतते हैं।
संस्कारों को मानते हैं, पर दकियानूसी ख्याल नहीं,
आधुनिक विचारों के प्रवक्ता हैं, पर बेहूदगी के नहीं।
अति भावुकता और अति व्यावहारिकता से परे हैं,
दिल - दिमाग के बीच संतुलन बनाए रखते हैं।
मेरे किरदारों में मेरी ही झलक दिखलाती हूँ,
हाँ, मैं कहानियाँ लिखती और किरदार गढ़ती हूं।
