पंख हैं, उड़ कर देखो
पंख हैं, उड़ कर देखो
कितना कुछ जीवन में है करना हासिल,
कितना कुछ नया जो हमने कभी देखा नहीं,
कितना कुछ अनोखा जो कभी जाना नहीं,
जिस दिन हम अपनी स्थिर स्थिति को त्याग,
झकझोर कर उठेंगे और चल देंगे हो निडर,
जीवन के अनजान रास्तों पर, तो पाएंगे,
उपलब्धियों की नयी ऊंचाइयां, जिन्हें
ईश्वर ने लिख रखी है हमारी नियति में।
पंख जो दिखते नहीं आज शायद हमे,
यदि उड़ने की कोशिश में फङफङायें हम,
तो पाएँगे मजबूत चील के पंख हैं हमारे,
दे रखे हैं ईश्वर ने तभी से जब हम जन्मे थे।