समय सीमा
समय सीमा
समय सीमा में बद्ध जिंदगी का हर एक पड़ाव है,
फिर क्यों मनुष्य समय की ताक़त से अनजान है ?
एक बार गुजरे जो पल, लौट कर कभी न आए,
फिर क्यों आलस में डूबी हमारी सुबह और शाम है?
समय सदैव अनुशासन और नियम से चलता है,
पर मनुष्य 'आज' को 'कल' में टालता रहता है ।
समय से कीमती कुछ भी नहीं, जानते हैं हम सब,
पर समय को ही बर्बाद बेझिझक हो करते हैं हम ।
प्रकृति की समयबद्धता को गर सीख -समझ लें हम,
जीवन को सार्थकता के साथ सदा जी पायेंगे हम।
बचे नहीं ईश्वर भी बदलते समय के प्रभाव से
हम इंसान फिर क्यों नहीं डरते समय की मार से?
समय की कीमत, समय को खो कर जानना मूर्खता है,
समय सीमा में कार्य संपादित करें तो सफलता निश्चित है।