लड़की, औरत और देवी
लड़की, औरत और देवी
बचपन में राजा रानी की कहानियाँ सुनकर बड़ी होती लड़कियाँ.....
चेहरे को हल्दी बेसन से गोरा बनाने में मसरूफ़ रहती लड़कियाँ......
आईने के सामने से बार बार गुज़रती रहती लड़कियाँ.......
फेयर एंड लवली से गोरे चेहरे को और गोरा बनाती लड़कियाँ.....
गहरी आँखों को काजल लगाकर और गहरा करती लड़कियाँ....
नये नये फैशन के कपड़े ट्राय करती रहती लड़कियाँ........
कपड़ों से मैचिंग इअर रिंग पहनती लड़कियाँ.......
तरह तरह के नेल पेंट ट्राय करती लड़कियाँ.......
घरों में भाई के साथ जब तब ठहाके लगाती लड़कियाँ.....
पिंजरों में बंद पक्षियों की आज़ादी की हिमायती लड़कियाँ.......
खुले आसमाँ में पतंगों सी लहराती लड़कियाँ.........
शादी के बाद गृहस्थी में रमते हुए औरतों में तब्दील होती लड़कियाँ.....
बेबात ठहाकों को भूल मंद मंद मुस्काती यह औरतनुमा लड़कियाँ...
आज़ादी के बरक्स महफूज़ियत को तरजीह देती यह औरतनुमा लड़कियाँ....
आटे से सने हाथों में नेल पेंट भूलने वाली यह औरतनुमा लड़कियाँ....
माँग के सिंदूर और साड़ी के पल्लू का ध्यान रखती यह औरतनुमा लड़कियाँ....
गले में मंगलसूत्र और कानों में बालियाँ बदस्तूर पहनती ये औरतनुमा लड़कियाँ..
दिन भर के काम में आईने को भूल बैठतीं यह औरतनुमा लड़कियाँ......
पँखो को भूल गृहस्थी के पिंजरों में रमने लग जाती है यह औरतनुमा लड़कियाँ....
बूत बन कर ख़ामोशी अख़्तियार कर लेती है यह औरतनुमा लड़कियाँ.......
क्योंकि यह औरतनुमा लड़कियाँ अब दुनियादारी जानने लगी है.....