लाल बत्ती
लाल बत्ती
अब कहाँ है लाल बत्ती
बस वो जो टिमटिमा रही है
यूँ ही है
हुआ करती थी इसलिए है
प्रवेश निषिद्धता का चलन
व्यवस्था को बनाये रखने का
एक चलन था
आज भी लिखा हुआ है
प्रवेश निषिद्ध क्षेत्र
वैसे ही लाल बत्ती की तरह।
अब वही प्रवेश पाते हैं
जिनके लिये
वर्जनाएं अस्तित्व में आयी थीं
एक नयी सभ्यता
आकार ले चुकी है
ठीक ठीक पुरानी का
अनुकरण करते हुये।
बुद्धिमान लोग कहते हैं
ये संक्रमण काल है
नकारात्मकता स्वीकार्य है
सकारात्मक निषिद्ध है
और एक अनुगूंज तो है
परिवेश में बेचैन सी
सब कुछ बदल देना है
और यहाँ बदल भी गया है
खालिश सोच ही सही।