STORYMIRROR

Rajkumar Jain rajan

Drama

3  

Rajkumar Jain rajan

Drama

लाल बत्ती पे

लाल बत्ती पे

1 min
443

लालबत्ती चौराहे पर

कोई बालक फूलों का 

गुलदस्ता लिए

खरीदने की गुहार करता


कोई नवयुवक कार के कांच को

जल्दी में साफ करता

निगाहों के याचना

कोई बूढा भीख मांगता

ऐसे दृश्य रोज दिखते हैं


चमकदार सभ्यता संस्कृति 

और अभिमान में झकड़ा

आज का सभ्य समाज 

देखता है इन्हें


हिकारत भरी नजरों से

कभी महसूस करो

लाल बत्ती चौराहे पर

गाड़ियों के बीच भागते हुए

इन मजबूर इंसानों के दर्द को


ये लोग  भय और भूख को

ललकारते हुए

जिंदगी की 

लड़ाई लड़ते रहते अनवरत

गुजरती रहती है


इनके पास से सभ्य समाज के

पत्थर दिल लोगों का कारवां

महंगी गाड़ियों में

मृत संवेदनाओं के साथ !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama