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Kritika Bhardwaj

Drama

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Kritika Bhardwaj

Drama

क्यूं तू कहलाया मेरा यार

क्यूं तू कहलाया मेरा यार

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सिकुड़‍ती ज़िंदगी में बाहें खोल कर दिया प्यार,

बीताया हमने वो चार पल का गुलज़ार,

बातें हुई, खफा हुए, मतभेद रहे अनेक बार,

जाने क्यूं तू कहलाया मेरा यार?


तेरा देरी से स्कूल आना,

मेरा डब्बा चुपके से खा जाना,

मेरी गलती पर खुद खा लेना टीचर की मार,

जाने क्यूं तू कहलाया मेरा यार?


मेरा होमवर्क खत्म करने में साथ दिया अपार,

एग्जाम में पर्चा सरका के किया हमेशा मेरा बेड़ा पार,

मेरी लड़ायी में तैनात रहना तेरा लेकर हथियार,

जाने क्यूं तू कहलाया मेरा यार...


आज मुझे दिन याद वो आए...


जब अपने ही मुझे बोले पराये,

गीले हुए इन अश्कों से,

आज आँखों को दिखा वो अंधेर गलियार,

तेरी कदर मैं जान सकूं,

शायद इसलिए कहलाया तू मेरा यार...!


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