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Rushikesh Ade

Romance

2  

Rushikesh Ade

Romance

क्या?

क्या?

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ये रातें कह नहीं सकती

ये आँखें बह नहीं सकती

है हमने बात जो छेड़ी,  

क्या आगे बढ़ नहीं सकती? 


है अपना ये सितम कैसा, 

के हम हर रोज़ जाते है

वो अपने आशियाने से  

क्या आगे बढ़ नहीं सकती? 


है हम ये सोचते रहते, 

के क्या वो सोचती होगी? 

क्या ख़्वाबों की ये अलमारी, 

अभी बंद हो नहीं सकती? 


वो अक्सर पढ़ तो लेते है, 

हमारी आँख कि नज्में। 

क्या जज्बातों कि ये गज़ले

वो आँखें पढ़ नहीं सकती?


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