मैं शराब नहीं पिता
मैं शराब नहीं पिता


मैं शराब नहीं पिता
शराब मुझे चढ़ती नहीं है
याद आने से पहले ही
भूल जाना चाहता हूं
मगर बात है कि
आगे बढ़ती ही नहीं है
मैं शराब नहीं पिता
ये मुझे चढ़ती ही नहीं है।
ये यादें हर घूंट के साथ,
नशे सी चढ़ती जाती है
अब पिला ही रहे हो तो
बोतल ही दे देते
कि कुछ चुभन सी दिल में
बढ़ती जाती है।
कोई कहता है
बोतल खाली होने से
पहले ही कि मैं नशे में हूं
उसका दिल रखने के लिए
हँस देता हूँ मैं।
क्या है ना,
मुस्कुराने से बात
ज्यादा बिगड़ती नहीं है
मैं शराब नहीं पिता
ये मुझे चढ़ती नहीं है।