चेहरा
चेहरा


ये होठों की लाली
ये आँखों का काजल
ये माथे पे बिंदीया
ये लहराता आंचल
दिल पर हमारे जो पहरा नहीं है
ये चेहरा तुम्हारा 'सिर्फ चेहरा' नहीं है
मुकम्मल ख़ुदा की
अगर कोई तस्वीर
तराशूं कभी तो
तुम्हारे अलावा
कोई रंग उसमें सुनहरा नहीं है
ये चेहरा तुम्हारा 'सिर्फ चेहरा' नहीं है
कई राज़ हाज़िर
है चेहरे पे तेरे
किताबों की तरह
कोई इनको पढ़ ले
दिल इतना किसी का भी गहरा नहीं है
ये चेहरा तुम्हारा 'सिर्फ चेहरा' नहीं है