क्या यही प्यार है ?
क्या यही प्यार है ?
आजकल
कुछ अजीब - अजीब सा
मुझे होने लगा है
मन बड़ा
अनमना सा रहने लगा है
किसी काम में
मन नहीं लगता
अजीब दिल का
हाल होने लगा है
जहाँ बैठूँ
वहीं खो जाती हूँ
जो काम करना चाहूँ
वही भूल जाती हूँ
न दिन में चैन
न रात में नींद
उठ उठकर
चक्कर लगाती हूँ
खुद ही
खुद से बातें करती
खुद ही
खुद में खो जाती हूँ।
सबकी नजरें बदल गई हैं
शंका से मुझे देखते हैं
सबसे अच्छे पापा हैं
मुस्कुरा कर पूछते
क्या किसी से प्यार है ?
मैं शर्म से गड़ जाऊँ
कुछ भी कह ना पाऊँ
अपने मन में दोहराऊँ
किसी को मन से मैं चाहूँ
न बात की
न मन की कही
क्यों वो मुझको अच्छा लगता
नहीं समझ पाती यह बात
क्या यही प्यार है ?
क्या यही प्यार है।
