Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Manjeet Kaur

Classics

4  

Manjeet Kaur

Classics

क्या लिखूं कान्हा पर

क्या लिखूं कान्हा पर

1 min
258


क्या लिखूँ कान्हा पर, कोई कवित्त, नज़्म, कथा या ग्रंथ

क्या समा पायेगी इसमें, महिमा अपार कान्हा की

सृष्टि के पालक, ब्रह्मांड के कण कण में विराजित

क्या लिखूँ मैं उस पर, सबकी किस्मत जो लिखे

कलम है मेरी अदना सी, बुद्धि है मेरी अल्प ही

मानवी साधारण सी मैं, कैसे लिखूँ, क्या लिखूँ


ब्रहमांड का ज्ञान छिपा गीता में, हर प्रश्न का उत्तर गीता में

गीता प्रदाता का वर्णन करूँ मैं कैसे, नगण्य है ज्ञान मेरा

द्रौपदी के रक्षक, कालिया के उद्धारक, कंस के संहारक

सारथी वनकर अर्जुन को, कर्तव्य का भान कराया

चेतना का सागर है वह, उसका एक कतरा हूँ मैं

खुद एक प्रश्न हूँ मैं, कैसे लिखूँ, क्या लिखूँ


वह खुद सृष्टि, उसमें सृष्टि, सृष्टि में वह, अनन्त हैं नाम उसके

मैं बेनाम, नाम मेरा न जाने कोई, कैसे लिखूँ, क्या लिखूँ

वह है दार्शनिक, चिंतक, चेतना दिल में बस जाये जो 

छंट जाये अँधेरा, मुक्त हो जाऊँ विकारों से मैं

मेरी क्या सामर्थ्य, गा सकूँ उसके गुण मैं

लिखना कान्हा पर है कठिन, क्या लिखूँ 


न बीते पल में, न आनेवाले पल में, जीवन है बस इस पल में 

विलक्षण हैं कृष्ण, मैं अति सरल, उलझ गयी मैं चिंता में

छोड फल की इच्छा, करूँ कर्म, उत्तम है सबसे यही 

गुण उसके दिल में बसाऊँ, नेह में भीग जाऊँ मैं 

आनंद हो जीवन में, मगन मगन हो जाऊँ मैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics