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Manjeet Kaur

Inspirational

4  

Manjeet Kaur

Inspirational

अनोखी दास्तां

अनोखी दास्तां

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एक कहानी है, बडी निराली, तीन सौ वर्ष है, वह पुरानी

हुआ संघर्ष, सिक्ख और मुगलों के बीच

बिछुड गया परिवार गोबिन्द सिंह का 

पुत्र फतेह सिंह और ज़ोरावर सिंह  

माता गुजरी चले गंगू के संग

लालच में हुआ गंगू बेईमान

पहुँचाई नवाब को खबर

सरहिन्द किले के ठंडे बुर्ज़ में 

कैद रखा भूखा प्यासा

दिसम्बर की बर्फीली हवाएँ 

न बदल सकीं इरादे साहिबजादों के

डराया, धमकाया, प्रलोभन दिये कई

नन्हें मुन्नों को मनाना है क्या मुश्किल

जान गया नामुमकिन है ये काम मगर

मौत के घाट उतारेंगे, गर न स्वीकारा इस्लाम

छोडेंगे नहीं अपना धर्म, कबूलेंगे नही इस्लाम

रहे दृढ वे अपने कथन पर, मौत को लगाया गले

अटल रहे, सिर न झुकाया वीरों ने

सिर जाये तो जाये, सिक्खी सिदक न जाए

डरा न सकी लालच और यातनाएँ

हुए न विचलित शत्रु के बीच भी

थे वे गुरु तेग बहादुर के वंशज

जो शहीद हुए हिन्दूत्व की खातिर

मृत्यु से भय नहीं हमें, धर्म है जान से प्यारा

हुक्म हुआ जिन्दा दीवार में चुनवाने का 

हृदय विदारक दृश्य था वह, शत शत नमन उन्हें

सुन खबर शहीदी की, ने देह त्यागी माता गुजरी ने

भक्त टोडरमल ने खरीदी भूमि समस्त धन दे

की अंत्येष्टि तीनों की, ऐसा उदाहरण इतिहास में न कोई

बेमिसाल शहीदी का दे पैगाम, हो गये वे दुनिया में अमर

त्याग की अनूठी दास्तां ये, याद रहेगी युगों युगों तक.


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