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Akash Agrawal

Abstract

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Akash Agrawal

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क्या क्रोध का जवाब क्रोध होना चाहिए?

क्या क्रोध का जवाब क्रोध होना चाहिए?

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मैं शांत था

कहता भी तो क्या ही।

बेवजह बात का बतंगड़ ही होता

इसीलिए मैं शांत था।


क्या क्रोध का जवाब क्रोध होना सही है?

शायद नहीं।

शायद हां।

कभी कभी आपकी चुप्पी अधिक पीड़ा पहुँचाती है,

उन्हें जो आपसे प्यार करते हैं।

बेवजह तो गुस्सा नहीं होते वो आपसे।

कोई बात खटक रही होगी आज शायद,

आपसे लड़ कर शायद समाधान मिल जाए।

पर आपका मौन उसे और गुस्सा दिलाता है,

क्रोध के साथ अब उसे दुःख भी है।

और शायद ग्लानि भी।

आपकी चुप्पी उसे सोचने पर विवश कर देती है,

कि क्या वो लड़ाकू है?

क्या बेवजह ही गुस्सा करती है वो?


नहीं नहीं नहीं।

इतना निर्दयी नहीं हूं मैं।

जनता हूं,

बेवजह नहीं है क्रोध उसका।

शांत रहकर उपहास उड़ा रहा हूं मैं।

इसीलिए मैंने अपना मौन तोड़ा,

उसके क्रोध और दुःख से व्याकुल चेहरे को

एकचित्त क्रोध भरी निगाहों से देखा,

और बराबरी से लड़ने लगा।

कुछ ही देर में वो शांत होने लगी,

जो भी था मन में, जाने कब से भरा हुआ,

अब धीरे धीरे खत्म होने लगा।

और उसके चेहरे पर अब तसल्ली सी होने लगी,

वो जो गुम हो गई थी वो चंचल सी मुस्कान,

अब छुप छुप के फिर आँखो से झांकने लगी।

मैं भी अब फिर से शांत हो गया था।


क्या क्रोध का जवाब क्रोध होना चाहिए?

शायद हां।

कम से कम उनसे जिन्हें हम प्यार करते हैं।


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