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Akash Agrawal

Action Inspirational

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Akash Agrawal

Action Inspirational

मयंक...

मयंक...

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सिमट गयी है रौशनी, अब ढल गया है सूर्य जो

सो गए हैं लोग वो, उन्हें डर है ना प्रकाश है

मदहोश हो मैं चल पड़ा, न होश न हवास है

क्या मुझे है डर कोई, जब मयंक मेरे साथ है

क्या मुझे है डर कोई, जब मयंक मेरे साथ है।।


है कवि की कल्पना, वो आशिकों का यार है

वो रात काली जगमगा, के कर रहा श्रृंगार है

तू ढूंढ़ता है दाग क्यूँ, वो तो निर्विकार है

तू नफरतें उड़ेलता, वो सिर्फ और सिर्फ प्यार है

तू नफरतें उड़ेलता, वो सिर्फ और सिर्फ प्यार है।।


वो चांदनी समेट कर, है चादरें बना रहा

है सर पे जिनके छत नहीं, उन्हें चांदनी उड़ा रहा

हर कदम पे तेरी राह में, वो रौशनी बिछा रहा

न जाने किस के प्यार में, वो सर्वस्व लुटा रहा

न जाने किस के प्यार में, वो सर्वस्व लुटा रहा।।


बेजान सा तू क्यूँ खड़ा, वो चीखती पुकार है

अँधेरे का है डर तुझे क्यूँ, वो रातों का संहार है

तू जुगनू क्यूँ समेटता, वो जुगनू पे सवार है

दिन है क्या है रात अब, जब मयंक तेरा यार है

दिन है क्या है रात अब, जब मयंक तेरा यार है।।



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