क्या! काल गिद्ध है?
क्या! काल गिद्ध है?
भीड़ में भी शुद्ध हूँ।
कितना अवरुद्ध हूँ।
जाने क्यों क्रुद्ध हूँ!
किसके विरुद्ध हूँ!
कौन-सा आयुध हूँ!
क्या! मैं प्रबुद्ध हूँ?
भाग्य निर्बल हुआ।
वक़्त प्रबल हुआ।
रक्त धूमिल हुआ।
मौन ये दंगल हुआ।
कौन अब विचारता!
क्या! मैं पूर्ण रुद्ध हूँ?
अनंत की राह में।
चिंतन की चाह में।
मन-मंथन कराह में।
विपुल हृदय हुआ।
अमृत सदय हुआ।
क्या! मैं संवृद्ध हूँ?
कर्म कलुषित यहाँ।
हृदय दूषित जहाँ।
रो रहा प्रकाश है।
नयनों में आभास है।
कौन नहीं त्रास है!
क्या! मैं समृद्ध हूँ?
हवा विष जाल है।
जल विकराल है।
रोती, वसुंधरा कहीं।
सोती ममता वहीं।
क्यों विकट चाल है!
क्या! मैं अनिरुद्ध हूँ?
संभल अभी वक़्त है!
निर्मल तभी रक्त है!
धरा क्यों अभिशप्त है!
कौन! अब विभक्त है!
त्राहि-त्राहि लिप्त है।
कुचक्र अभिव्यक्त है!
क्या! काल गिद्ध है?
क्या! काल गिद्ध है?
क्या! काल गिद्ध है?
आयुध = हथियार
प्रबुद्ध = जागा हुआ
रुद्ध = घेरा हुआ
संवृद्ध = विकसित होता हुआ
त्रास = कष्ट
अनिरुद्ध = स्वेच्छाचारी
गिद्ध = धूर्त