क्या ज़रूरी है ?
क्या ज़रूरी है ?
हर बात पर मुझे
गलत साबित करना
क्या ज़रूरी है ?
मेरे आंसू जो छलके
पर तुम्हें नज़र न आए
ऐसी एक बात कहनी
क्या ज़रूरी है ?
तुम्हारे किए वादे
सिर्फ़ मुझे ही क्यूं याद हैं ,
यूं तुम्हारा अपनी ही बात से
मुंह फेर लेना
क्या ज़रूरी है ?
उलाहना मेरी गलतियों का देकर
अपनी खामियों में पर्दे डालते हो ,
आजादी के नाम पर
हर बार एक राज़ दबाना
क्या ज़रूरी है ?