क्या दूं तुमको मैं
क्या दूं तुमको मैं
क्या दूं तुमको मैं
अपने इस खाली जीवन से
सिर्फ ये जीवन वचन है तुम्हारे लिए,
प्यार की वो पहली मुलाकात,
जब मिले थे हम,
बांस के पुल पर,
नदी किनारे चमकती रेत पर,
साथ घूमे थे हम,
गांव की पगडंडियों में
हाथों में हाथ लिए,
दिन दोपहर और सर्द रातों की चांदनी में,
हमें घेरे हुए थी कितनी अदृश्य सुंदर हवाएं,
महकती चांदनी रात में,
फूलों की खुशबू लिए,
सब कुछ देना चाहता हूं
मैं तुम्हें ,
पर खाली हूं
मै अपने अस्तित्व से,
अब खुद को तुम्हारी निगाहों में भिगो लेना चाहता हूं,
तुम्हे क्या दूं ये सोच कर,
खुद ही सोच में पड़ा हूं,
हर सांस का कतरा कतरा,
अब गिरवी है तुम्हारे लिए।

