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Sandeep Kumar

Romance

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Sandeep Kumar

Romance

कविता से तुम्हें बताया करूंगी

कविता से तुम्हें बताया करूंगी

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सुनो, याद तेरी ना भुला सकूंगी

कसमें वादे तेरी ना निभा सकूंगी

रहो दूर तुम जितना मुझे भुला कर

यादों को ना तेरी भुला सकूंगी।


शब्दों में कैसे बया करूं तुम्हें

आईना में देखा दिखाया करूंगी

चांद की रोशनी तेज देखकर

रोशनी में तुम्हें निहारा करूंगी।


सुनो हीरनी और क्या कहूं

तुम्हें पाने आसमाँ देखा करूंगी

सपनों में सजो कर बिंदी तेरी

भुवन श्रीजन दिखाया करूंगी।


चाह है हमें कितना 

कविता से तुम्हें बताया करूंगी

शब्द शब्द से पुकार कर तुम्हें

आत्मा दर्शन सुनाया करूंगी।


त्रिभुवन में तेरी जैसी

और कहां पा सकूंगी

बोलो मेरी लाडली प्यारी

तुम्हें कैसे बताया करूंगी।


अपने अंदर आत्मा को

दर्पण तेरी दिखाया करूंगी

तेरे लिए उम्र सारी

कुंवारा रहकर बिताया करूंगी।


सपनों में सजो कर बिंदी तेरी

भुवन श्रीजन दिखाया करूंगी

चाह है हमें कितना 

कविता से तुम्हें बताया करूंगी।


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