कविता के बहाने
कविता के बहाने
कविता के बहाने ही तेरे पास, तुझसे मिलने आता हूँ,
ये कविता ही तो वो एकमात्र सहारा है,
जिससे तेरे संग बिताये गए उन सुकून के पलों को फिर से जी पाता हूँ !
कविता के बहाने ही तेरे लबों से मुस्कान पाकर,
मैं कशमकश भरी जिंदगी में मुरझाए रहते हुए भी खिल पाता हूँ ।
तुझसे चाहे कितना भी दूर रहूँ !
यही तो एकमात्र वो जरिया है जिससे अपनी दिल के तार तुझसे जोड़ पाता हूँ ।
कविता के सहारे ही तुझसे, तेरे पास आकर मिल पाता हूँ।
नित- नित तेरी अदाओं को तुझमें ढूंढकर उसे अपनी लेखनी से दिल पे उतार पाता हूँ ।
जीने लगा हूँ तुझे अपनी कविता में ही अब तो !

