कवि ईश्वर के प्रतिनिधि होते है
कवि ईश्वर के प्रतिनिधि होते है
भाषा, भाव विचार हृदयंगम कर..
अभिव्यक्त कलम से कर देते हैं...!!
मनोभाव जैसे हों कवि के ...
लेखन वैसा कर देते हैं...!!
ब्रह्मा की सृष्टि से हटकर ..
कवि अपनी सृष्टि रच देते हैं
रवि जहाँ ना पहुँच पाए ...
कवि वहाँ भी दृष्टि कर देते हैं
ईश्वर के प्रतिनिधि बनकर
काया पलट भी कर देते हैं ..!
कभी प्रकृति का
मानवीकरण करके
संवेदनशील बना देते हैं..!!
कभी मानव तन को
मशीन की संज्ञा देकर ...
बेजान भी उसको कह देते हैं
मानव मन को
झकझोर कर कभी..
चेतना उसमें भर देते हैं ।।
वैचारिक क्रांति को फैलाकर
समाज को फिर से गढ़ देते हैं
घिसी पिटी रूढ़िवादी मानसिकता
को नष्ट कर..!
नूतन नवीन सा कर देते हैं ..!
कवि ईश्वर के प्रतिनिधि बनकर..
सुंदर सृष्टि सृजित भी कर देते हैं !!!!
सुंदर सृष्टि सृजित भी कर देते हैं !!!!