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Pranali Kadam

Drama

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Pranali Kadam

Drama

कुसूर अपना था

कुसूर अपना था

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सच तो ये है कि कुसूर अपना था,

चाँद को छूने कि तमन्ना की।


आसमां को जमीन पर माँगा,

फूल चाहा कि पत्थोरों पे खिलें।


कांटों में खिले फूलों की तलाश,

आरजू थी आग ठंडक देगी,


और बर्फ में ढूँढ़ते रहें उम्मीद,

ख्वा़ब जो देखा चाहा, सच हो जायें।


इसकी हमें सजा मिलनी थी

सच तो ये है कुसूर अपना था।


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