Pranali Kadam
Tragedy
हमने आपकी ख़ातिर
कांटों पे चलना सीखा
हद पार करके,
कांटों को घुँघरू
समझ लिया।
रक्स करके पैरों के
निशान सुहाग बन गया।।
अंत
तेरी उल्फ़त
कुसूर अपना था
रक्स
तेरी आस
ए-दास्ताँ जिं...
मंथन करना दिल की गहराइयों का कहीं कुछ शेष तो नहीं रह गई मंथन करना दिल की गहराइयों का कहीं कुछ शेष तो नहीं रह गई
राई का पर्वत बनाकर "मुरली", तू नफरत की आग में जला गया। राई का पर्वत बनाकर "मुरली", तू नफरत की आग में जला गया।
प्रयास करते है फिर भी नहीं मिलती मंजिल, प्रयास करते है फिर भी नहीं मिलती मंजिल,
सड़कें रोकती नहीं किसी राही को, वह देखती रहती हैं। सड़कें रोकती नहीं किसी राही को, वह देखती रहती हैं।
कब आयेगी मेरी बारी कब मिले गा मुझे सहारा। कब आयेगी मेरी बारी कब मिले गा मुझे सहारा।
ऊपर से बेपरवाह, अंदर से परेशान हु मैं देख जिंदगी की मुसीबतें हैरान हूं मैं। ऊपर से बेपरवाह, अंदर से परेशान हु मैं देख जिंदगी की मुसीबतें हैरान हूं मैं।
हाय ! ये आंँसू छलक पडेगे, हमको जीना आ जाये तो। हाय ! ये आंँसू छलक पडेगे, हमको जीना आ जाये तो।
भयभीत हो गई नाजुक सी लड़की, कॉकरोच का देखा जब स्वरूप। भयभीत हो गई नाजुक सी लड़की, कॉकरोच का देखा जब स्वरूप।
कल जन्मदिन पर आए थे, सुंदर सा तोहफा लेकर। कल जन्मदिन पर आए थे, सुंदर सा तोहफा लेकर।
वक़्त इतना ना लगा मुझे विदा करने में और ठहरा तो दिल से भी उतर जाऊँगा वक़्त इतना ना लगा मुझे विदा करने में और ठहरा तो दिल से भी उतर जाऊँगा
लिखे होंगे आज भी चंद अल्फ़ाज़ मेरे लिए। आज भी याद में मिरी,कोई डूबा कर रोया होगा।। लिखे होंगे आज भी चंद अल्फ़ाज़ मेरे लिए। आज भी याद में मिरी,कोई डूबा कर रोया ह...
मेरे शिकायतें, इच्छाओं और ख्वाबों का करूँ क्या ही इजहार? मेरे शिकायतें, इच्छाओं और ख्वाबों का करूँ क्या ही इजहार?
मानो ये शब्द स्याही से नहीं आंसू की बूंदों से लिखे हों भाई, हाय राम फिर आई ९वीं जूलाई। मानो ये शब्द स्याही से नहीं आंसू की बूंदों से लिखे हों भाई, हाय राम फिर आई ९व...
गौ मां पर दया करो, तुम गौ मां की सेवा करो। गौ मां पर दया करो, तुम गौ मां की सेवा करो।
कुछ बताते नहीं तो ठीक था, कुछ लिख़ता न था सही था। कुछ बताते नहीं तो ठीक था, कुछ लिख़ता न था सही था।
हर टूटे ख्वाब को समेटा मैंने ,ख्वाब देखने के ख्याल से ही ,सिहरती हूँ अब मैं। हर टूटे ख्वाब को समेटा मैंने ,ख्वाब देखने के ख्याल से ही ,सिहरती हूँ अब मैं।
पक्की सियांही से लिखेंगे तुम्हारी कहानी की हो जाये आग से जुदा खोलता पानी। पक्की सियांही से लिखेंगे तुम्हारी कहानी की हो जाये आग से जुदा खोलता पानी।
पर अब तो मोहब्बत में शरीर का मिलन होता है।। पर अब तो मोहब्बत में शरीर का मिलन होता है।।
फल,अनाज,अंडे कुछ नहीं बचेगा क्यों नहीं सम्भलते हैं ? फल,अनाज,अंडे कुछ नहीं बचेगा क्यों नहीं सम्भलते हैं ?
सिर्फ तुम ही हो, जिस पर विश्वास किया मैंने। सिर्फ तुम ही हो, जिस पर विश्वास किया मैंने।