Pranali Kadam
Tragedy
हमने आपकी ख़ातिर
कांटों पे चलना सीखा
हद पार करके,
कांटों को घुँघरू
समझ लिया।
रक्स करके पैरों के
निशान सुहाग बन गया।।
अंत
तेरी उल्फ़त
कुसूर अपना था
रक्स
तेरी आस
ए-दास्ताँ जिं...
ये समाज ओर रिवाज सब इक समान हैं पर सोच ओर संस्कार से सब बेईमान हैं।। ये समाज ओर रिवाज सब इक समान हैं पर सोच ओर संस्कार से सब बेईमान हैं।।
जिस लिबास ने इज्जत बचाने को तन ढका क्यों उसी को तार तार कर देते हैं लोग जिस लिबास ने इज्जत बचाने को तन ढका क्यों उसी को तार तार कर देते हैं लोग
दिन भर अथक कार्य करके जब, हारे थके लौट घर आते। दिन भर अथक कार्य करके जब, हारे थके लौट घर आते।
देश चल रहा नफरत से ही, फिर कैसे मैं प्यार लिखूँगा । देश चल रहा नफरत से ही, फिर कैसे मैं प्यार लिखूँगा ।
हाँ....बेटियों, ये हुनर माँ के पेट से ही सीखकर आती हैं। हाँ....बेटियों, ये हुनर माँ के पेट से ही सीखकर आती हैं।
मूर्ति नहीं मैं हूं इन्सान क्यों रहा नहीं ये तुमको भान ! मूर्ति नहीं मैं हूं इन्सान क्यों रहा नहीं ये तुमको भान !
वक़्त पर कोई भी पहचानता नहीं मानव धर्म कोई भी मानता नही! वक़्त पर कोई भी पहचानता नहीं मानव धर्म कोई भी मानता नही!
संसद में किसी औरत को कुछ बोलो तो उसे अपमान का रूप दिया जाता है ! संसद में किसी औरत को कुछ बोलो तो उसे अपमान का रूप दिया जाता है !
कहीं राजभवन को जगमग करता, किसी चिराग़ से कम तो नहीं। कहीं राजभवन को जगमग करता, किसी चिराग़ से कम तो नहीं।
मेरी तरह तुम भी एक कदम उठाना हो सकता है दिन बदलाव जरूर आए ! मेरी तरह तुम भी एक कदम उठाना हो सकता है दिन बदलाव जरूर आए !
काश, इस दुनिया में हर इंसान बच्चा होता! काश, इस दुनिया में हर इंसान बच्चा होता!
देखा हालात आजाद भारत का इक छोटे से पल के दृश्य में । देखा हालात आजाद भारत का इक छोटे से पल के दृश्य में ।
रिश्तों को संजोये रखने के लिए... उन्हीं रिश्तों में घुटती रही स्त्रियाँ! रिश्तों को संजोये रखने के लिए... उन्हीं रिश्तों में घुटती रही स्त्रियाँ!
कब तुम मेरे प्रति अपने दिल में सम्मान जगाओगे? कब तुम मेरे प्रति अपने दिल में सम्मान जगाओगे?
खुशियों की बौछार वो तसव्वूर अलग हैं आँसूओ में नहाना रोज की बात हैं। खुशियों की बौछार वो तसव्वूर अलग हैं आँसूओ में नहाना रोज की बात हैं।
मन में कुछ,जुबान पे कुछ दिखता कुछ ,असल कुछ नियत ,निति ,रीती में अंतर। मन में कुछ,जुबान पे कुछ दिखता कुछ ,असल कुछ नियत ,निति ,रीती में अंतर।
सरस्वती का सदा स्नेह है इन पर तभी बच्चों को संस्कार सिखाती! सरस्वती का सदा स्नेह है इन पर तभी बच्चों को संस्कार सिखाती!
प्रलय की जब जग में बारी आई, जल बिन जग में हाहाकार हुआ प्रलय की जब जग में बारी आई, जल बिन जग में हाहाकार हुआ
मैं वो लड़की हूं जिस पर दरिंदगी के नित नये इतिहास रचे जाते हैं मैं वो लड़की हूं जिस पर दरिंदगी के नित नये इतिहास रचे जाते हैं
तुमने सब कुछ खोकर मुझे पाया था और आज मैंने सब कुछ पाकर भी तुम्हें खो दिया। तुमने सब कुछ खोकर मुझे पाया था और आज मैंने सब कुछ पाकर भी तुम्हें खो दिया।