Pranali Kadam
Tragedy
हमने आपकी ख़ातिर
कांटों पे चलना सीखा
हद पार करके,
कांटों को घुँघरू
समझ लिया।
रक्स करके पैरों के
निशान सुहाग बन गया।।
अंत
तेरी उल्फ़त
कुसूर अपना था
रक्स
तेरी आस
ए-दास्ताँ जिं...
सब लोग पुरुषों को यूँ ही कहते हैं, बुरा-भलाकोई नही करता है,यहां सच्चाई से तर गला। सब लोग पुरुषों को यूँ ही कहते हैं, बुरा-भलाकोई नही करता है,यहां सच्चाई से तर गल...
आखिर किन शब्दों में लिखूँ मैं विफल चेहरे ये समाज के। आखिर किन शब्दों में लिखूँ मैं विफल चेहरे ये समाज के।
घर पहुंचा तो देखा किताबें मेज पर पड़ी हैं कुछ अलमारी में धूल से सनी हैं. घर पहुंचा तो देखा किताबें मेज पर पड़ी हैं कुछ अलमारी में धूल से सनी हैं.
आओ सुनो तुम मेरी ज़ुबानी, मेरी ही ये दास्तां मुझसे ही तुम आये हो, पहले हूँ मैं तुम्हारी आओ सुनो तुम मेरी ज़ुबानी, मेरी ही ये दास्तां मुझसे ही तुम आये हो, पहले हूँ मैं...
मेरे मन की बड़ी अभिलाषा है बस एक ही। कह सकूँ जग को जो मैंने अब तक न कही। मेरे मन की बड़ी अभिलाषा है बस एक ही। कह सकूँ जग को जो मैंने अब तक न कही।
आगोश में भर लेती जब भारत माँ मुझको एहसास तेरा होता मुझको माँ आगोश में भर लेती जब भारत माँ मुझको एहसास तेरा होता मुझको माँ
हर पल चाहा जान से अपने, बेजान मैं तुझको कहूं कैसे। हर पल देखा मुस्काती तुझको, हर पल चाहा जान से अपने, बेजान मैं तुझको कहूं कैसे। हर पल देखा मुस्काती तुझको,
बोले मुझ से दूर हट यहाँ से, लगता है तेरा मुख जैसे ‘नर’। बोले मुझ से दूर हट यहाँ से, लगता है तेरा मुख जैसे ‘नर’।
खुद से सवाल किया कि ,क्या था मेरा बचपन वह मीठी यादें जो वक्त के साथ धुंधला गई. खुद से सवाल किया कि ,क्या था मेरा बचपन वह मीठी यादें जो वक्त के साथ धुंधला गई...
सुना था बचपन में, मन के भावों को लिखना ही लेखन है। सुना था बचपन में, मन के भावों को लिखना ही लेखन है।
इन मुश्किल हालातों में भी आशाओं की किरण दिखाई देती है, हर जगह है इर्ष्या। इन मुश्किल हालातों में भी आशाओं की किरण दिखाई देती है, हर जगह है इर्ष्या।
खोखली नींव से सब विद्यार्थी खुश हैं खोखली नींव से सब माता-पिता खुश हैं। खोखली नींव से सब विद्यार्थी खुश हैं खोखली नींव से सब माता-पिता खुश हैं।
नीरज ने स्वर्ण दिया देश को अभिमान है. नीरज ने स्वर्ण दिया देश को अभिमान है.
शायद मेरे गुनाहों की सजा है, आज पटरियों पर अकेली है।। शायद मेरे गुनाहों की सजा है, आज पटरियों पर अकेली है।।
गाली से भी गंदा अब तो। राजनीति का शब्द हुआ है। गाली से भी गंदा अब तो। राजनीति का शब्द हुआ है।
यह लिखावट नहीं, वह खुद पूछ रही थी "सच में क्या... हमारे बीच इंसान कहीं है ?" यह लिखावट नहीं, वह खुद पूछ रही थी "सच में क्या... हमारे बीच इंसान कहीं है ?"
हाय! हाय ! अन्नदाता की दुर्दशा अब देखी न जाई ! हाय! हाय ! अन्नदाता की दुर्दशा अब देखी न जाई !
ऐसी पूजा के बाद कुछ छोड़ कर दुनिया का मोह कूद जातीं हैं घरों की छतों से, चलती रेलों से ऐसी पूजा के बाद कुछ छोड़ कर दुनिया का मोह कूद जातीं हैं घरों की छतों से, चलती...
घर छोड़ा तो ज़िंदगी ने मुसाफिर बना दिया अपनी ही ज़मीन पर अपनों ने काफिर बना दिया। घर छोड़ा तो ज़िंदगी ने मुसाफिर बना दिया अपनी ही ज़मीन पर अपनों ने काफिर बना दिया...
तुम गये कहाँ, तुम कहाँ गये, हो दूर मेरी तनहाई से ।। तुम गये कहाँ, तुम कहाँ गये, हो दूर मेरी तनहाई से ।।