कुर्बानी देकर आई है
कुर्बानी देकर आई है
आजादी पाकर हर
शहीद की आत्मा खुशी से झूमी होगी
अपनी कुर्बानी देकर
उसके वंशज को आजादी मिली
पर बंटवारे के गदर ने
आत्मा को उसके लहूलुहान भी किया होगा
शहीदों के परिवार के
आंखों से आंसू भी बहा होगा
आजादी की शाम, कई
कुर्बानी के बाद आई है
खुशियां और गम के
दोनों ही आंसू लाई है
कई चूड़ियों की खनक टूटी है
किसी पिता ने लाल की
किलकारियां नहीं सुनी
आजादी क्या होती है
उस घर से पूछो यारों
जिस घर का चिराग फना हो जाते हैं
बहनों की राखी यूं ही रह जाती है
आजादी बहुत कीमती है
आजादी की शाम, कुर्बानी देकर आई है।