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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Abstract

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

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कुहासे का अभिनन्दन

कुहासे का अभिनन्दन

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लगता है आज

कुहासे हमसे

खफा हो गए!

अपने रौद्र रूप

आज सुबह - सुबह

हमको दिखा दिए!!


अपने आँचल के

पल्लुओं से सारी

सृष्टि को छुपा लिया!

हमे बच्चों की

तरह अपने गोद

में हमको सुला दिया!!


लोगों की प्रतीक्षा

सूर्य की लालिमा

देखने को थी!

उठकर रजाइयों

से नयी ताजगी

लानी भी थी!!


सूर्य को नमस्कार

हम नित्य

किया करते है!

सारी प्रकृतियों

और जग के लोगों

को सलाम करते है!!


हमने आज कुहासे

का आवाहन करके

नमस्कार किया!

कुहासे खुश हुए

अपने आँचल के

पल्लुओं से हमको

आज़ाद किया!!


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