प्रेम, समर्पण, भावप्रवणता से सुघड़ भविष्य निर्माण करें। प्रेम, समर्पण, भावप्रवणता से सुघड़ भविष्य निर्माण करें।
छोड़ करके वेदना के स्वर नव प्राण का सृजन कर, ग्रस रहा आत्म दीपक को अंधकार तू इसका दमन कर। छोड़ करके वेदना के स्वर नव प्राण का सृजन कर, ग्रस रहा आत्म दीपक को अंधकार तू ...
हमने आज कुहासे का आवाहन करके नमस्कार किया! कुहासे खुश हुए अपने आँचल के पल्लुओं से हमको आज़ाद क... हमने आज कुहासे का आवाहन करके नमस्कार किया! कुहासे खुश हुए अपने आँचल के पल्ल...