कुछ पल हंसी के
कुछ पल हंसी के
हम तुमसे मांगते हैं कुछ पल हंसी के
बन जाओ मेरे मालिक मेरी जिंदगी के
सौंप दिया हमने अपना सारा जीवन
बस मेरे हो जाओ मेरे ही अब होके
हम तुमसे।
बीच समंदर में हूँ रेत का महल बनाता
सूखे रेत में हूँ बागवां खिलाता
बिन बादलों के जब बरसात है होती
तेरी याद में अश्क हैं पलके भिगोते
हम तुमसे।
तू चल रहा है तो मैं भी चल रहा हूँ
तू सम्भल रहा है तो मैं भी सम्भल रहा हूँ
प्यार में तेरे गिरने का आलम मुझे ही पता है
मेरे दिल में बस बज रहें तेरे ही नगमे
हम तुमसे।
अब तू मुझे क्यों इतना सता रहा हैं
आँखों में आँसू भर-भर तू क्यों रुला रहा है
मैं तेरा हूँ तू मान ले मेरी जाना
तेरे प्यार के कई लिख रहा हूँ अफसाने
हम तुमसे।
एक बार तू कह दे, मैं प्यार हूँ तुम्हारा
तुझपे वार दूँगा अपना तन-मन ये सारा
तुझे पाने को कुछ भी कर जाऊँगा
ले आऊँगा खुदा से फिर छीन के तुझे
हम तुमसे।

