Srishti Gangwar
Tragedy Classics
अकसर लोग खुदगर्ज निकल जाते हैं
पास हो तो वफा बाद में पहले बेवफाई कर जाते हैं
प्यार तो वो हमेशा ही करते रहते हैं
पर वो जरूर किसी मोड़ सेे मुड़ जाते हैं
पास हो तो प्यार और विश्वास दिलाते हैं
लेकिन दूर होते ही बदल जाते हैं।
खूबसूरत यादें
सूखा गुलाब
गुमनाम रिश्ता...
मनुष्य मन का ...
नन्ही परी
कुछ लोग
डर मत मेरे बच्चे तू आँच न आयेगी तुझ पर डर मत मेरे बच्चे तू आँच न आयेगी तुझ पर
मेरे सैनिक दोस्तों के लिए जो अपने घर से दूर हैं उनकी याद में लिखी काव्य रचना मेरे सैनिक दोस्तों के लिए जो अपने घर से दूर हैं उनकी याद में लिखी काव्य रचना
इसलिए यह घर है सपना मेरे कई सपनो में से। इसलिए यह घर है सपना मेरे कई सपनो में से।
बेटा ओ बेटा मुझको तू बचा ले इन ज़ालिमों के पंजो से बचा ले। बेटा ओ बेटा मुझको तू बचा ले इन ज़ालिमों के पंजो से बचा ले।
बदनसीबी का आलम ये है, हम कागज़ कलम तक उठा बैठे और वो मोहतरमा दास्तां-ए-मोहब्बत को शायरिया समझ बैठे... बदनसीबी का आलम ये है, हम कागज़ कलम तक उठा बैठे और वो मोहतरमा दास्तां-ए-मोहब्बत...
तुम इस रेप पर लगाम, लगाआगे कब ? इन दरिंदों को फ़ांसी पर, लटकाओगे कब ? तुम इस रेप पर लगाम, लगाआगे कब ? इन दरिंदों को फ़ांसी पर, लटकाओगे कब ?
कसूर ये की वो टोपी बेचता था साहब। कसूर ये की वो टोपी बेचता था साहब।
हम लाशों के ढेर पर बैठे हुए, किसी फ़िल्म के आलोचक या किसी खेल के दर्शक बने हुए है। हम लाशों के ढेर पर बैठे हुए, किसी फ़िल्म के आलोचक या किसी खेल के दर्शक बने ...
लुटे जो देश को हरदम उन्हीं के नाम होते हैं लुटे जो देश को हरदम उन्हीं के नाम होते हैं
सब हैं अपनी में ही मस्त अब कौन रखें देश का ख्याल। सब हैं अपनी में ही मस्त अब कौन रखें देश का ख्याल।
बेटी हूँ मैं इसी मुल्क की न्याय कब दिखाई देगा कठुआ, उन्नाव, निर्भया, मंदसौर फिर सफाई देगा बेटी हूँ मैं इसी मुल्क की न्याय कब दिखाई देगा कठुआ, उन्नाव, निर्भया, मंदसौर फिर...
कोई नाम दो न इन्हें पुल सा। कोई नाम दो न इन्हें पुल सा।
लफ्ज़ खामोश है आँखों के सामने तेरी ही मोहब्बत बर्बाद हो गई तेरे सामने। एक रिश्ता भी तुम सम्भाल ... लफ्ज़ खामोश है आँखों के सामने तेरी ही मोहब्बत बर्बाद हो गई तेरे सामने। एक र...
हो चाहे अब न्याय का मदिंर महफूज न कही............ हो चाहे अब न्याय का मदिंर महफूज न कही............
करता अपनों को ही परेशान फिर क्या करे ये संविधान। करता अपनों को ही परेशान फिर क्या करे ये संविधान।
कुलदीपक वह कहलाता है गर्भ में ही मारी जाती है वो। कुलदीपक वह कहलाता है गर्भ में ही मारी जाती है वो।
कहते है हर किसान है महान फ़िर आत्महत्या करने पर क्यूँ है बेबस। कहते है हर किसान है महान फ़िर आत्महत्या करने पर क्यूँ है बेबस।
हे गणपति आप ही बताओ कैसे जीवन जीना है। हे गणपति आप ही बताओ कैसे जीवन जीना है।
यह कविता भी इन चार लड़कियों के नाम समर्पित है।) यह कविता भी इन चार लड़कियों के नाम समर्पित है।)
मैं उसको कभी ये बता ना सका, मन में तस्वीर उसकी दिखा ना सका, मैं तो मिट्टी था मिट्टी की औकात क्या, ... मैं उसको कभी ये बता ना सका, मन में तस्वीर उसकी दिखा ना सका, मैं तो मिट्टी था म...