STORYMIRROR

Srishti Gangwar

Tragedy

4  

Srishti Gangwar

Tragedy

मनुष्य मन का मैला

मनुष्य मन का मैला

1 min
216

मन जिसका मैला होता है

अपनो की भीड़ में भी वो अकेला होता है

देकर धोखा अपनो को

कैसे वो चैन से सोता है

एहसास नहीं उसको होता है

कि धोखे का फल बुरा ही होता है

वक्त जब गुजरता जाता है

उसके पापों का घड़ा भरता जाता है

हो जाते हैं जब दिन बुरे उसके तो

खुदा को दोषी ठहराता है।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy