सूखा गुलाब
सूखा गुलाब
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आज देखकर किताब में सुखा गुलाब
गुजारा जमाना याद आ गया था
जब हमने साथ में वक्त गुजारा था
मैंने उसका, उसने मेरा साथ निभाया था
एक दिन उसने मुझको गार्डन में बुलाया था
आज क्या है उसने मुझको याद दिलाया था
भूल गया मैं ये जानकर उसने गुस्सा दिखाया था
कान पकड़कर मांगी जब मैंने जब माफी थी
उसने थोड़ा सा मुस्कुराया था
देकर हाथ में मेरे गुलाब उसने दिल का हाल सुनाया था
लेकर हाथों में गुलाब मैंने उसको गले लगाया था
रहेगा साथ ये मेरे हमेशा मैंने किताब में छुपाया था
सालों बाद आज मैंने जब उस किताब को उठाया था
करके सारी यादें ताजा उस सूखे गुलाब ने
मुझको फिर से हंसना सिखलाया था