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Srishti Gangwar

Others

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Srishti Gangwar

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नन्ही परी

नन्ही परी

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घर में जब आती है तू बनकर नन्ही परी

पिता की आंखों में बस जाती है तू बनकर उजयारी

देख तुझे अकसर होती है दादियों की आंख भरी

चाहती थी वो राजकुमार ना की नन्ही परी

पर होती जाती है बेटी तो पापा की लाडली

धीरे धीरे बड़ी हुई जब तेरी हंसी की फुलझड़ी

देख तुझे मां की चिंता लगने बड़ी

पर पिता की सदैव रही तू नन्ही परी

लेकिन जब तू बड़ी हुई तुझे मिली रास्ते में प्यार की लड़ी

क्यों फंस कर रह गई तू ओ नन्ही परी

तेरे चरित्र से ही पापा की इज़्जत रही

ना कर तू उनको रुसवा बड़ा करने में तुझे मेहनत लगी बड़ी



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