STORYMIRROR

Anushree Goswami

Inspirational

5.0  

Anushree Goswami

Inspirational

कुछ ख्वाबों को पँख नहीं

कुछ ख्वाबों को पँख नहीं

1 min
28K


कुछ ख्वाबों को पँख नहीं,

बस एक आसमाँ चाहिए।


सम्यक एक आज़ाद मंज़िल,

समुद्र - सी गहरी उड़ान चाहिए।


कुछ कर गुज़रेंगे वो भी,

बस थोड़ा सहारा, थोड़ा प्यार चाहिए।


भागती हुई इस दुनिया में,

एकटक देखती एक निगाह चाहिए।


कभी - कभी पँख होते तो हैं,

पर अधूरे से होते हैं वो भी,

बिन पँख उड़ने की वो कला,

वो एक कोशिश हज़ार चाहिए।


न जाने क्या है उस अतीत में,

कि लोग नहीं भूल पाते उसे,

बस उसे भूल जाने का जज़्बा,

आज के तोहफों का आभार चाहिए।


हाँ बस आज,

फिर तुम भी आज़ाद, और मैं भी,

बस फिर एक मुस्कुराहट के साथ,

आत्मबोध करने का ख़ुमार चाहिए।


थोड़ा ठहरकर देखना है खुद को,

थोड़ा समझना, थोड़ा जानना है,

बस फिर गर कुछ चाहिए तो,

जीने की वो एक चाह चाहिए।


कुछ ख्वाबों को पँख नहीं,

बस एक आसमाँ चाहिए।

सम्यक एक आज़ाद मंज़िल,

समुद्र - सी गहरी उड़ान चाहिए।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational