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Kajal Singh

Tragedy

4.6  

Kajal Singh

Tragedy

कुछ कहना था मां तुमसे...

कुछ कहना था मां तुमसे...

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कुछ कहना था मां तुमसे

समझना था मां तुमको,

शुरुआत हुई ही थी उस ख़ुशी की

न जाने नज़र लग गई किसी की।

नासमझी में वक्रतुंड गुजर गया

पर आपके दर्द का अहसास होने सा लगा

लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी

और तू कहीं बहुत दूर जा चुकी थी

कुछ कहना था मां तुमसे।


कितनी बातें और करनी थी

कितने वादे और करने थे

कितने सपने और देखने थे

पर तेरे पास वक्त बचा ही नहीं

तू बहुत दूर जा चुकी थी

कुछ कहना था मां तुमसे।


अभी तो जानना बाकी था मां तुमको

तेरे लिए खड़ी होना चाहती थी

तेरे साथ और चलना चाहती थी

कुछ पल तेरी उंगली और थामनी थी

तेरे आंचल में कुछ पल और गुजारने थे

पर वो लम्हा थमा ही नहीं

और तू चली गई बहुत दूर

कुछ कहना था मां तुमसे।


जिंदगी तो तूने दे दी

लेकिन शायद तू खुद जीना भूल गई

चाहत एक ख्वाब बनकर रह गई

सुख दुःख बांट न पाई

कुछ वक्त और दे न पाई

तू बहुत दूर जा चुकी थी

कुछ कहना था मां तुमसे।।


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