कुछ दूरियाँ खल रहीं हैं
कुछ दूरियाँ खल रहीं हैं
यादें हैं जो दिल में मचल रही हैं
हां कुछ दूरियां अब हमें खल रही है
बड़े अरसों बाद याद आए हो क्योंकि
यादों से दूर करना थोड़ा मुश्किल है
निकाल दिया था तुम्हें जहन से पर
यादों में थोड़ा बचा हुआ ये दिल है
तमाचे जड़े थे उसने दिल पर मेरे
जिसके निशान अभी गए नहीं है
वो अपनाने से हिचकता रहा पर
लगता था कि वो पराए नहीं है
अब हम इंतकाम की नहीं सोचते हैं
सब कुछ वक्त पर छोड़ रखा है
नतीजा कभी सामने आएगा क्योंकि
वहां तो सारा हिसाब लिखा है
गलती तुम से जरूर हुई होगी पर
कुछ कुसूर मेरे भी दिल से हुआ था
क्योंकि जब तुम्हें सिर्फ चाहत थी
तब इस दिल को प्यार हुआ था
अब तुम्हारी दूरियों का एहसास नहीं,
बस खुद से दूरियाँ खल रही है।
